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हमारे खाँटी भाई कोंग्रेसी लोगों को न तो गदहा हाँकने आता है है और न ही तीताराम केतरी से धोती से कुछ ढकना ही आता है …वैसे दूसरों की इज्जत छीन कर अपनो की इज्जत ढकना खाँटी भाई कोंग्रेसी लोगों की पुरानी आदत है लेकिन उन्हें क्या पता गैर की इज्जत से मज़म्मत को छोड़िए उल्टे अपनी ही इज्जत खतरे में पड जाती है। दिग्गी और बकलोल बबुआ जैसे खाँटी भाई जिस गधे को हाँकते हैं उल्टे वही इनको दुलत्ती मारना शुरू कर देता है। एक दूसरे खाँटी भाई बता रहे थे “…नहीं हो सकता कभी नहीं हमारी अध्यक्ष सोनिया जी बहुत समझदार हैं …” मैंने उन्हें सफाई देते हुए कहा “…मैंने तो उनकी समझदारी पर आपत्ति नहीं की…वैसे ललित गदहे ने तो उल्टे खाँटी भाईयों को कायदे से दुलत्ती मारना शुरू कर दिया है …” खाँटी भाई असहज हो गए बोले “…हम इस्तीफा ले कर रहेंगे …” मैंने तपाक से पूछा “..दुलत्ती खाने वालों में किसका ? राजीव शुक्ला, शशि थरूर, प्रियंका गांधी, राहुल गांधी, या आधी-पूरी कॉंग्रेस ..वैसे वाड्रा जो जेल मे ही रहेंगे जैसे दिग्गी के सन्यास की अवधि बढ़ती ही जा रही है . ?” खाँटी भाई तैश मे बोले “…फिलहाल वसुंधरा राजे और सुषमा जी इस्तीफा दें …” मैंने कहा “…वैसे ललित दुलत्ती के बाद इस्तीफा मांगना लतीफा ही है …” खाँटी भाई उखड़ गए बोले “…ये कोई लतीफा नहीं है …” मैंने कहा “…ललित का लतीफा सुनते-सुनाते कॉंग्रेस के तोते को ही ललित ने दुलत्ती मार दिया…” खाँटी भाई और उखड़ गए, बोले “….राहुल-प्रियंका और सोनिया जी काँग्रेस के तोता नहीं हैं ….” मैंने आराम से उनसे प्रतिप्रश्न किया “…फिर खाँटी भाई कोंग्रेसियों की जान तो उन्हीं मे क्यों बसती है… ?” खाँटी भाई ने जवाब देते हुए कहा “…जान तो हैं पर तोता नहीं …” मैंने कहा “…हाँ तोता तो पिंजरे बंद होता है वो तो कुत्तारोची, एंडरसाँड, दाऊद यहाँ तक कि खुद ललित की तरह आजाद हैं वैसे माई-धिया देश के बाहर मैदान होने गए हैं या मैदान मारने …?” खाँटी भाई बोले ” …लेकिन भ्रष्ट लोगों को तो इस्तीफा दे ही देना चाहिए …?” मैंने कहा “…इससे कौन इंकार कर रहा है सिवाय केजरीवाल और मूर्ख आपियों के, भ्रष्टाचार साबित तो कीजिये अदालत में कौन रोका है …?” खाँटी भाई तैश मे बोले “…हमारे लोगों का अदालत से पहले ही इस्तीफा देने का इतिहास रहा है …?” मैंने मज़ाक उड़ाते हुए कहा “…यही तो खाँटी भाई और आपिए मोदी सरकार को अपने जैसा ही साबित करने पर उतारू हैं लेकिन ललित-लतीफे पर इस्तीफा …ये भी एक लतीफा ही है …” खाँटी भाई बोले “… ये भ्रष्टों की सरकार है …” मैंने भी पलट कर पूछा “….क्या यूपीए और आपियों जैसी …?” खाँटी भाई चुप हो गए किसी भाई को फोन लगाने लगे …मैंने कहा नमस्कार
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